Skip to content

Tag: Love

राम कथा पर दुष्प्रयोग हो हर्गिज यह स्वीकार नहीं…

राष्ट्रीय कवि संगम एवं संस्कार भारती अवध प्रान्त इकाई बाराबंकी के तत्वावधान में कल 3 जुलाई को दशहरबाग स्थित श्री राम पैलेस में गुरुपूर्णिमा,नटराज पूजन एवं सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ,प्रथम सत्र में तीन वरिष्ठ कवियों का सम्मान किया गया जिनमें श्री उमाशरण वर्मा ‘करुण’ ,श्री राम किशोर तिवारी ‘किशोर’ , श्री जय प्रकाश ‘ हुंकारी’ जी । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर के सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. विवेक सिंह वर्मा- प्रबन्धक-विजय लक्ष्मी आई हॉस्पिटल रहे तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्याम सुन्दर दीक्षित जी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में काशी प्रान्त के महामंत्री एवं ओज के श्रेष्ठ कवि अटल नारायण जी, आर एस एस से जिला कार्यवाह श्री सुधीर जी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री अजय सिंह गुरुजी , डॉ. बलराम वर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। संचालन राष्ट्रीय कवि संगम के क्षेत्रीय अध्यक्ष -शिव कुमार व्यास ने किया।


कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों ने मां भगवती , भगवान नटराज, व वेद व्यास जी के चित्र पर माल्यार्पण व धूप दीप से पूजन अर्चन तथा सुप्रसिद्ध गीतकार- गजेंद्र प्रियांशु की वाणी वंदना से किया। जो देर रात तक चलता रहा। सभी मंचस्थ अतिथियों का अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह से सम्मान संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष- अजय ‘प्रधान’, जिलाध्यक्ष- डॉ. अम्बरीष ‘अंबर’, जिला महामंत्री- रवि अवस्थी, संस्कार भारती के जिला महामंत्री- ओ पी वर्मा ओम, उपाध्यक्ष- अनिल श्रीवास्तव लल्लू, मंत्री डॉ. पुष्पेंद्र कुमार आदि ने किया।


मुख्य अतिथि जी ने अपने उद्बोधन में गुरु की महत्ता बताते हुए कहा- बिना गुरु कृपा के किसी को मनुष्यता नही प्राप्त होती । सभी के जीवन में किसी न किसी गुरु की प्रेरणा रहती है किंतु सभी लोगों के जीवन में प्रथम गुरु के रूप में अपनी मां मिलती है और उन्ही के दिए गए ज्ञान से हम लोग अपना जीवन सवांरते सजाते हैं इसी लिए हमने अपनी मां के नाम पर अपना प्रतिष्ठान स्थापित किया और उन्ही के सपनों को साकार करने में लगा हूं।


उक्त अवसर पर नगर के कई महनीय लोगों की उपस्थिति रही जिनमें श्री प्रताप सिंह वर्मा, रामप्रकाश वर्मा , आनंद विहार कॉन्वेंट इण्टर कॉलेज के निदेशक श्री शैलेंद्र सिंह, डॉ. राम सुरेश जी। वरिष्ठ चित्रकार कृत वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश जी, श्री राम पैलेस के प्रबन्धक- संजीव वर्मा व अजय वर्मा,पारितोष वर्मा, रमेश जी, लवकुश वर्मा अरविन्द वर्मा, आशुतोष बैसवार आदि लोगों की उपस्थित में द्वितीय सत्र में जनपद के 25 कवियों ने काव्यपाठ किया। जिनमें जनपद के लोकप्रिय गीतकार गजेंद्र प्रियांशु, विनय शुक्ला , सतीश श्याम, अशोक सोनी, राम नगर से पधारे नागेन्द्र सिंह, डॉ. शर्मेश शर्मा, जगन्नाथ निर्दोष, लखनऊ से उमा कांत पाण्डेय, जितेंद्र श्रीवास्तव, श्रीमती लता श्रीवास्तव, साहब नारायण शर्मा, सूर्यांशु सूर्य,दीपक दिवाकर, यश अवस्थी, सनत् कुमार अनाड़ी, आदि उपस्थित सभी कवियों ने गुरु की महिमा का काव्यात्मक गुणगान किया। अन्त में हास्य कवि अजय ‘प्रधान’ ने आए हुए सभी लोगों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

Comments closed

स्वीकार है, स्वीकार है

स्वीकार है, स्वीकार है

हमें धर्मपथ स्वीकार है
माँ भारती की अर्चना में 
हम सदा तैयार हैं

चाहे सुमनमय यह डगर हो
या कंटको से हो भरी
हमने भी माता भारती की
ज्ञानमय वीणा सुनी
उस परम ज्योति किरण से
ज्योतिर्मय उदगार है

स्वीकार है स्वीकार है

atalnarayan

Comments closed

दलित का प्रेम

मैं स्टेशन की सीढ़ीयों से बाहर निकल ही रहा था कि वो सामने से आयी , वास्तव मैं उससे ही मिलने उसके शहर आया था ये पता था कि वो बोलेगी नही फिर भी मैंने नज़रे उठाई ये देखने के लिये क्या वो मुझे देखती है कि नही शायद यही उसने भी सोचा हो फिर क्या जैसे तैसे नज़र लड़ ही गयी । ऐसा लग रहा था कि कुछ तलक धड़कने रुक सी गई । लेकिन आज उसके चेहरे का अज़ीब सा ही भाव था जैसे कि कोई फैसला करने आई हो ,मैं वही सीढियों पर ही रैलिंग के पास रुक गया, वो मेरी तरफ़ बढ़ने लगी मेरी शरीर हल्की से ढ़ीली पड़ रही थी इसलिए मैंने टेक ले लिया,वो पास आयी और बोली कि मैं तुमसे ही मिलने ही आ रही थी अच्छा हुआ तुम ख़ुद ही आ गए चलो रेस्तरां चलते है चाय भी पी लेंगे और कुछ ज़रूरी बात भी करनी है।

Dalit Ka Prem

फिर हम लोग रेस्तराँ के लिये चल दिये। पास के ही एक रेस्तराँ हम गये ….…चाय-वाय हो ही रही थी कि मैंने पूछा कि बताईये क्या बात है ? उसने कहा कुछ नही फिर भी कही बताओ कैसे हो, औपचारिकता दर्शाते हुए।

मैं…ठीक हूँ 

वो… मैं भी

मैं…आजकल मन मे कुछ ऐठन सी लगी रहती है।

वो… क्यों

मैं…क्या तुम्हें ऐसा कुछ नही होता

वो…नही 

मैं…क्या तुमने बात की घर में

वो…नही क्यों ये पूछने पर बोली कि मुझें पता है कि वो क्या कहेंगे।

मैं…अच्छा क्या कहेंगे , अरे जाने भी दो ना

वो… अरे समाज नही स्वीकार करेगा

मैं…तो क्या हुआ तुम्हें स्वीकार है न, 

हम दोनों एक दूसरे को कितना चाहते है

हाँ मगर

क्या मगर

अरे अरे अरे कही तुम्हारे मन मे कोई शक तो नहीं 

वो…. कोई शक नही है 

तुम बहुत अच्छे हो पढ़े लिखे हो, तुम्हारा हृदय भी विशाल है सब कुछ अच्छा है, पर हम एक नही हो सकते, 

क्यों ये मैं पूछा? 

फिर कोई उत्तर नही आया,  हम दोनों कुछ पल के लिये चुप से हो गए

वो….ठीक है मैं जा रही हूँ फिर

मैं …ठीक है पर मेरे प्रश्न का उत्तर दे देना

वो…ये बात तुम अपने घरवालों से पूछो तो बेहतर होगा

वाकई में वो एक ब्राम्हण परिवार से ताल्लुक़ रखती थी और मैं दलित।

 

Comments closed

हे जग जननी देवी तूँ माँ कहलाती है

निश्छल निष्कपट
झपट के लिपट लिपट
मचलता स्नेह अमिट
हर पल निकट निकट
हे जन्म दायिनी भयहारिणी सुखदायनी मां
ना आंखों से ओझल ना एक आह सुन पाती है
हे जग जननी देवी तूँ माँ कहलाती है


वह मचलाता का बचपन
जब आंखें थी चमचम
संघ संघ तेरा मन
और
पैजनिया छम छम
गिरत परत फिर लिपट लिपट
फिर गिरत गिरत तू उठाती मां
लगत कंठ फिर चूमत चूमत
झपट के दिल से लगाती माँ

ना हाथों से छोड़त ना तनिक दूर रह पाती है
हे जग जननी देवी तूँ माँ कहलाती है


मेरे दुख के एक एक आंसू को पिया है तुमने
मेरे खातिर पेट काटकर जीया है तुमने
मेरी हर इच्छा को स्नेहमई सीने से लगाने वाली माँ
परमेश्वरी परमात्मा को भी दूध पिलाने वाली माँ
ना आंखों से ओझल ना एक आह सुन  पाती है
हे जग जननी देवी तूँ माँ कहलाती है



मेरा ठुमक ठुमक चलना
तेरा दौड़-दौड़ आना
मां एक कौर के खातिर,  तेरा सौ सौ बहाना
मेरे तुतलाने पर मंद-मंद छुपके मुस्कुराने वाली माँ
लल्ला खातिर ईश्वर से भी बात लड़ाने वाली माँ
ना हाथों से छोड़त,  एक आह सुन पाती है

हे जग जननी देवी तूँ माँ कहलाती है


करुणा मई माता तेरे खातिर मर ना जाऊं तो निष्फल
मातृ भक्त के खातिर कुछ मैं कर न जाऊं तो निष्फल
ये माता कोई और नही ये अपनी भारत माता है
अपने लालों की चिंता में माता का जी घबराता है
ये फफक फफक कर रोती है जब आपस मे हम लड़ते है
क्यों अपने रक्त से सिंचित कर माता को आहत करते है
माता की गोदी में सबको आँधी भी न छू पायेगी
जब हृष्ट पुष्ट माता होगी आंचल से हमें बचाएगी
Comments closed