कौन जीता इस जहां में कौन हारा है हे प्रभु..... बस तेरा ही इक सहारा है निज शरण मम वरण कर लीजे जी जिस तरह आपने सबको तारा है
अज्ञात अंतर्मन
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कौन जीता इस जहां में कौन हारा है हे प्रभु..... बस तेरा ही इक सहारा है निज शरण मम वरण कर लीजे जी जिस तरह आपने सबको तारा है