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जगत जननी अम्बे !

जगत जननी अम्बे,मेरी सुध भी तूं ले ले
हे राधे,गायत्री चरण निज शरण तूं दे दे

नमस्ते दुर्गे सरस्वती च नमस्ते
नमस्ते काली गायत्री च नमस्ते
नमस्ते उमा जग कल्याणकारी
माँ दुर्गा नमस्ते, नमस्ते नमस्ते

जगत का पालन भी अंब तुम ही करती हो
हमारी की रक्षा में चण्डी का रूप धरती हो

शताक्षी हे गौरी माँ राधे उमा तुम्ही हो
लक्ष्मी सीता भी, परमेश्वरी जगत की

नमः योगिनी योगमाया नमामि
नमः ब्राम्हिनी विश्वतेजा नमामि
नमामि काली, कलकंठी कराली
परमेश्वरी सिद्धिदात्री नमामि

हम अज्ञानी माता तेरी महिमा बखानूँ कैसे
बता दो तुम ही माँ, तुमको मैं पुकारूँ कैसे

ब्रम्हा की बुद्धि भी, जिसे नही जान पाई
वही वाली मैया, भगत को गोंद खिलाई

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